Mere Liye Kaam Nahin (मेरे लिए काम नहीं) Lyrics

हल चला कर खेतो को
मैंने ही सजाया रे
गेंहूं चावल मक्के के
दानो को उगाया रे
चूल्हा भी बनाया रे
धान को पकाया रे

सोयूं क्यों भूखे पेट रे
के मेरे लिए काम नहीं ...(२)

मिटटी की खुदाई की
भट्टी को जलाया रे
ईटों को पकाया है
बंगला बनाया है
संसद का हर एक खम्बा
मैंने ही उठाया रे

सोयूं क्यों फूट पाथ पे
के मेरे लिए काम नहीं .... (२)

धागे को बनाया मैंने
मिलों को चलाया रे
ताना बाना जोड़ के
कपडा बनाया रे
सपनो के रंगों से
उनको सजाया रे

मुझे कफ़न नहीं रे
की मेरे लिए काम नहीं ..... (२)

रेल को बनाया मैंने
सड़क को बिछाया रे
हवा मे उड़ाया रे
चंदा से मिलाया रे
नाव को बनाया मैंने
पानी पे चलाया रे

मेरी न ज़िन्दगी चले की
मेरे लिए काम नहीं....(२)

शाहजहाँ के ताज को
मैंने ही बनाया रे
मंदिरों को मस्जिदों को
मैंने ही सजाया रे
बांसुरी सितार को
माडल को बजाय रे

कहाँ संगीत मेरा रे
की मेरे लिए काम नहीं ...(२)

सपने सजायेंगे ज़िन्दगी बनायेंगे
उँगलियों को मोड़ के
हाथों को उठाएंगे...... (२)

आसमा को छूएंगे
जिंदाबाद गायेंगे

गायेंगे तब तक रे
के जब तक काम नहीं...(२)

लड़ेंगे तब तक रे
जब तक काम नहीं ... (२)

this song was also sung at the start of public hearings.

Comments

  1. वाह! मजदूर किसानों के तकलीफों के गीत।
    दिल को छू लेने वाले शब्द

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  2. वाकई इस गीत की एक एक लाइन दिल को छू लेने वाली है। बहुत उम्दा

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